राम - राम जाट भाइयो मेरा नाम है कपिल तेतरवाल और आज की इस post के माध्यम से मैं आपको Jaat History ( जाट जाति की उत्पत्ति के सिद्धान्त ) के बारे में बताने वाला हूं वो भी अपनी राष्ट्र भाषा Hindi में।
वैसे तो जाटो की उत्पत्ति के बारे में बहुत सारे तथ्य है लेकिन इस post में मैं केवल सर्व मान्य तथ्यो का ही जिक्र करूँगा।

1. शिव से जाट की उत्पत्ति

एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव की जटाओं से जाट की उत्पत्ति मानी जाती है। यह सिद्धान्त देव संहिता में उल्लेखित है। देव संहिता की इस कहानी में कहा गया है कि शिव के ससुर राजा दक्ष ने हरिद्वार के पास कनखल में एक यज्ञ किया था। सभी देवताओं को तो यज्ञ में बुलाया पर न तो महादेवजी को ही बुलाया और न ही अपनी पुत्री सती को ही निमंत्रित किया। शिव की पत्नि सती ने शिव से पिता के घर जाने के लिये पूछा तो शिव ने कहा- तुम अपने पिता के घर बिना बुलाये भी जा सकती हो, सती जब पिता के घर गयी तो वहां शिव के लिये कोई स्थान निर्धारित नहीं था, न उनके पति का भाग ही निकाला गया है और न उसका ही सत्कार किया गया। उलटे शिवजी का अपमान किया और बुरा भला कहा गया। अपने पति का अपमान देखकर, पिता तथा ब्रह्मा और विष्णु की योजना को ध्वस्त करने के उद्देश्य से उसने यज्ञ-कुण्ड में छलांग लगा कर प्राण दे दिये। इससे क्रुद्ध शिव ने अपने जट्टा से वीरभद्र नामक गण को उत्पन्न किया। वीरभद्र ने जाकर यज्ञ को भंग कर दिया. आगन्तुक राजाओं का मानमर्दन किया। ब्रह्मा और विष्णु को यज्ञ से जाना पडा. वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया. ब्रह्मा और विष्णु शिव को मनाने उनके पास गये। उन्होने शिव से कहा कि आप भी हमारे बराबर हैं। इस समझौते के बाद शिव और उसके गण जाटों को बराबर का दर्जा मिला. शिव ने दक्ष का सिर जोड दिया, कहते हैं कि दक्ष को बकरे का सिर जोडा गया था। यह भी धारणा है कि ब्राह्मण इसी अपमान के कारण जाटों का इतिहास नहीं बताते या इतिहास तोड़-मरोड़ कर लिखते है।

2. ज्येष्ठ से जाट की उत्पत्ति

कुछ इतिहासकार जाट जाति की उत्पत्ति ज्येष्ठ शब्द से मानते है। ऐसी धरणा है कि, राजसूय-यज्ञ करने के बाद युधिष्ठिर को 'ज्येष्ठ' घोसित किया गया था। आगे चल कर उनकी सन्तान 'ज्येष्ठ' से 'जेठर' तथा 'जेटर' और फ़िर 'जाट' कहलाने लगे। कुछ अन्य इतिहासकार मानते हैं कि पाण्डवों को महाभारत में विजय दिलाने के कारण श्रीकृष्ण को युधिष्ठिर की सभा में ज्येष्ठ की उपाधि दी गयी थी। अलबरुनी श्रीकृष्ण को जाट मानते हैं। (अलबिरुनी, भारत, पृ. 176). वैसे युधिष्ठिर और कृष्ण दोनों के वंशज चंद्रवंशी क्षेत्रीय में सम्मिलित हैं। कृष्ण के वंशज जो कृष्णिया या कासनिया कहलाते हैं वर्तमान में जाटों के एक गोत्र के रूप में मौजूद हैं।



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